G.S.T Update dated 10.12.2023
GST फ्रॉड – नोएडा
नोएडा पुलिस ने हजारों करोड़ रुपये के जीएसटी फ्रॉड का खुलासा किया है. पुलिस की तरफ से दावा किया गया कि पकड़े गए आरोपी विदेश से रोजाना फर्जी कंपनियों में 80 लाख रुपये का बिजनेस दिखाकर जीएसटी का ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ ले लेते थे. इस मामले में आठ आरोपियों के बैंक अकाउंट में तीन करोड़ की रकम फ्रीज कर दी गई है. फिलहाल इस मामले में चार आरोपियों को पकड़ा गया है. आरोपी पिछले चार साल से सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगा चुके हैं. पुलिस पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वे फर्जी कंपनियां बनाकर फेक ई-वे बिल के जरिये जमा कराए गए जीएसटी का रिफंड लेते थे. अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, इससे पहले पुलिस ने जून में भी इस तरह के गिरोह का भंडफोड़ किया था. जून में भी जीएसटी फ्रॉड के जरिये सरकार को हजारों करोड़ की चपत लगाने वाले गिरोह का खुलासा हुआ. इस मामले में भी आरोपियों ने हजारों फेक कंपनियों के नाम से फर्जी इनवॉयस काटकर जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लिया था. पुलिस इस मामले में अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. जांच में यह भी सामने आया कि हाल में पकड़े गए आरोपियों का तार पुराने गिरोह से जुड़ा है.
GST सिस्टम में बड़े बदलाव की तैयारी, ग्राहकों के लिए ई-बिल ट्रांजैक्शन हो सकता है अनिवार्य
वर्तमान में कारोबार करने वाले लोगों को जीएसटी बिलिंग का भी काफी ध्यान रखना होता है. सरकार भी जीएसटी की प्रक्रिया को आसान करने में लगी हुई है. इस बीच अब सरकार की ओर से कुछ अहम कदम भी उठाए जा सकते हैं. सरकार अगले दो-तीन वर्षों में सभी व्यवसायों के लिए ‘व्यवसाय से उपभोक्ता’ (बी2सी) लेनदेन पर इलेक्ट्रॉनिक या ई-बिल जारी करना अनिवार्य कर सकती है. वर्तमान में पांच करोड़ रुपये और उससे अधिक के कारोबार वाली कंपनियों का ‘व्यवसाय से व्यवसाय’ (बी2बी) बिक्री व खरीद के लिए ई-बिल जारी करना अनिवार्य है. सरकार बी2सी लेनदेन के लिए ई-बिल अनिवार्य करने की योजना बना रही है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य-जीएसटी शशांक प्रिया ने कहा कि जीएसटी प्रणालियों को उन्नत बनाने और बी2सी (व्यवसाय से उपभोक्ता) लेनदेन के लिए ई-बिल अनिवार्य करने पर काम जारी है. एसोचैम के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘हम बी2सी के लिए ई-बिल की आवश्यकता पर विचार कर रहे हैं. जीएसटीएन क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है. प्रणाली तैयार करनी होगी. हमें यह देखना होगा कि वे कौन से क्षेत्र हैं जहां से इसकी शुरुआत की जा सकती है. इस पर काम प्रगति पर है. हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हम इसे आगे ले जाने में सक्षम होंगे.’’ उन्होंने कहा कि पांच से 10 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले व्यवसाय भी पूरी तरह से ई-बिल जारी नहीं कर रहे हैं. सीबीआईसी अधिकारी अनुपालन न करने वाले व्यवसायों पर अंकुश लगा रहे हैं. एक अप्रैल 2021 से 50 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियां बी2बी (व्यवसाय से व्यवसाय) ई-बिल जारी कर रहीं थी. एक अप्रैल 2022 से इस सीमा को घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया. एक अक्टूबर 2022 से इस सीमा को 10 करोड़ रुपये और एक अगस्त 2023 से पांच करोड़ रुपये कर दिया गया.
फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर टैक्स चोरी
बीते कई महीनों से फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ सरकार विशेष अभियान चला रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले दो महीने के विशेष अभियान के दौरान जीएसटी अधिकारियों ने 21,791 फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन का पता लगाया है जिनका कोई अता – पता नहीं था. उन्होंने कहा कि इस विशेष अभियान के दौरान 24,000 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी का पता लगा है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में वित्त मंत्री से इसे लेकर सवाल किया गया था. राज्यसभा सांसद मौसम नूर ने वित्त मंत्री से सीबीआईसी द्वारा मई से जुलाई 2023 के बीच सीबीआईसी के विशेष अभियान के तहत फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन, कुल टैक्स की चोरी को लेकर सवाल पूछा था. उनके इसी सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा राज्य के टैक्स क्षेत्राधिकार के तहत 11392 और सीबीआईसी के अधिकार क्षेत्र को मिलाकर कुल 21791 इकाईयों का पता लगा है जिन्होंने फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा रखा था जो गैर-मौजूद पाई गई हैं. उन्होंने कहा कि राज्यों ने 8805 करोड़ रुपये और सीबीआईसी ने 15205 करोड़ रुपये को मिलाकुल कुल 24010 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता लगाया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि ईमानदार करदाताओं के हितों की रक्षा करने और करदाताओं को अत्यधिक कठिनाई से बचाने के लिए समय-समय पर निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें अधिकारियों को अपने शक्तियों के प्रयोग में उचित सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है. दरअसल 16 मई से 15 जुलाई, 2023 तक सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम यानि सीबीआईसी के फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ चलाए गए विशेष अभियान के दौरान फर्जी रजिस्ट्रेशन के रूप में पहचानी गई संस्थाओं की संख्या और कुल टैक्स चोरी की रकम बारे में पूछे गये एक प्रश्न का लिखित उत्तर दे रहे थीं.
टाटा द्वारा एयरबस सप्लाई, सपोर्ट सर्विसेज पर लगेगा 5% जीएसटी
गुजरात अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) ने फैसला सुनाया है कि रक्षा मंत्रालय को विमान की सप्लाई के लिए एयरबस और टाटा ग्रुप की कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट एक composite supply है, और इस पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने यह जानने के लिए एएआर से संपर्क किया था कि विमान की सप्लाई पर जीएसटी लागू है या नहीं. कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के तहत 56 में से 16 विमानों की सप्लाई एयरबस द्वारा स्पेन से रक्षा मंत्रालय को फ्लाई-अवे कंडीशन में की जाएगी. शेष 40 विमानों के निर्माण और सप्लाई के लिए इसने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के साथ अनुबंध किया. बदले में टीसीएस ने ग्रुप की कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया, जो विमान की मेंटेनेस सर्विसेज सहित सपोर्ट सर्विसेज के लिए भी जिम्मेदार थी. यह मामला भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा अपने सी-295 विमान कार्यक्रम के तहत 56 सी-295 MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई के लिए एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, स्पेन के साथ किए गए एक कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित है. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स का मानना था कि विमान और सपोर्ट सर्विसेज की सप्लाई, एक कंपोजिट सप्लाई होने के कारण 5% जीएसटी पर मानी जानी चाहिए.
हरियाणा के GST संग्रह में 44 फीसदी का उछाल, उत्तर भारत के सभी राज्यों को छोड़ा पीछे
हरियाणा के राजस्व में लगातार वृद्धि हो रही है। सितंबर, अक्तूबर के बाद नवंबर महीने में भी राज्य ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि की है। पिछले साल नवंबर की तुलना में इस बार राज्य को 44 फीसदी अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है। वहीं, हरियाणा ने जीएसटी राजस्व के मामले में उत्तर भारत के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। नवंबर के महीने में पंजाब ने 2265 करोड़ (36 फीसदी वृद्धि), दिल्ली ने 5347 करोड़ (17 फीसदी वृद्धि), हिमाचल प्रदेश ने 802 करोड़ (19 फीसदी ग्रोथ) और जम्मू-कश्मीर ने 469 करोड़ (9 फीसदी) की वृद्धि दर्ज की है। कोरोना काल के बाद से हरियाणा के जीएसटी में लगातार वृद्धि बनी हुई है। हरियाणा ने इस वित्त वर्ष में 57931 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा करने का लक्ष्य तय किया है। अधिकारियों ने दावा किया है कि विभाग यह लक्ष्य समय से पहले हासिल कर लेगा। हरियाणा से आगे महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु हैं जबकि दूसरे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश, तेलगांना और पश्चिम बंगाल से हरियाणा काफी आगे है। जीएसटी राजस्व में हुई वृद्धि प्रदेश की आर्थिक प्रगति और विकास को भी दर्शाता है। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी चोरी और लीकेज पर लगातार निगरानी की वजह से राजस्व में वृद्धि हुई है।
कानपुर में केसर पान मसाला के ट्रेडर पर छापेमारी:
शुक्रवार को जीएसटी ने केसर पान मसाला कारोबारी हरीश मखीजा के ट्रेडर पर छापेमारी की। नयागंज स्थित जैन कटरा मार्केट में टीम ने छापेमारी की तो हड़कंप मच गया। टीम ने दस्तावेजों को खंगालना शुरू किया। सूत्रों के मुताबिक करोड़ों रुपए के माल में जीएसटी चोरी लगातार की जा रही थी।
महाराष्ट्र : सट्टेबाजी-गेमिंग को 28 प्रतिशत GST के दायरे में लाने के लिए बिल विधानसभा में पेश
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया, जो ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी, कैसीनो, घुड़दौड़ और लॉटरी को माल एवं सेवा (जीएसटी) कर की 28 प्रतिशत की श्रेणी के दायरे में लाने का प्रावधान करता है. महाराष्ट्र माल और सेवा कर अधिनियम 2017 में संशोधन करने वाले विधेयक पर राज्य विधानमंडल के मौजूदा शीतकालीन सत्र में चर्चा की जाएगी और निचले सदन से पारित होने के बाद इसे विधान परिषद में भेजा जाएगा. वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन सेवाओं का कुल कारोबार हजारों करोड़ रुपये है और इन पर कर लगने से राज्य को निश्चित रूप से लाभ होगा
Punjab: पहली बार राज्य को प्राप्त हुआ 25000 करोड़ का राजस्व, GST से सरकार की आमदनी में हुई 16.61 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
राज्य ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीनों के दौरान नवंबर तक वस्तु और सेवा कर में जीएसटी से 16.61 प्रतिशत ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ है। वहीं आबकारी से प्राप्त होने वाले राजस्व में भी 11.45 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार राज्य की आठ महीनों की कर प्राप्तियों ने 25 हजार करोड़ के आंकड़े को छूआ है।
गाजियाबाद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से पकड़ी गई 9 करोड़ की जीएसटी चोरी
राज्यकर विभाग की टीम ने साउथ साइड इंडस्ट्रियल एरिया में संचालित राठी स्टील एंड पॉवर लिमिटेड की 9 करोड़ की जीएसटी चोरी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के माध्यम से पकड़ी है। संयुक्त आयुक्त श्रीराम गौड़ ने बताया कि फर्म की तरफ से ई-वे बिल के माध्यम से जो खरीद-फरोख्त की जा रही थी, उसका डेटा एनालसिस किया गया। इसमें सामने आया कि जिन फर्मों के साथ खरीद-फरोख्त की गई, वह सिर्फ कागजों में की गई। इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया जा सके व टैक्स से बचा जा सके। अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान 16 करोड़ रुपये के माल को खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी गई। जब तक फर्म की तरफ से कागजात नहीं दिखाए जाते, तब तक माल की बिक्री नहीं होगी। फिर जो माल बिना डॉक्युमेंट के होंगे, उस पर टैक्स के साथ ही साथ जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ बोगस फर्म बनाकर 9 करोड़ की जीएसटी चोरी के मामले में नोटिस दिए जाने के साथ ही लीगल कार्रवाई शुरू की जाएगी। जिससे उसकी भी वसूली जल्द से जल्द की जा सके। ऐसे काम करता है AI सिस्टम अधिकारी बताते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के नोटिस अप्रैल 2023 से भेजे जा रहे हैं। मुख्यालय से AI की ओर से फर्मों की सूची भेजी गई है। सूची AI से रिटर्न्स स्क्रूटनी का कार्य सरल हो रहा है। पोर्टल पर अधिकारी के लॉगिन से नोटिस डाउनलोड का विकल्प दिया गया है। क्लिक करने पर GSTR 1, GSTR-3B, GSTR-2A, GSTR-2B का अंतर दिखने लगता है। एनुअल रिटर्न GSTR 9 व रिटर्न के अंतर होता है, तो खंड के सभी रजिस्टर्ड व्यापारियों के लेखा-जोखा के आधार पर AI की ओर से विसंगति प्रदर्शित कर दी जाती है। 2017-18 AI नोटिस भेजने की अंतिम तिथि 30 सितंबर तक थी, इसे लेकर कार्रवाई चल रही है। विभाग को व्यापारी की गलती का पता चल गया। जिन्होंने टैक्स कम या गलत टैक्स जमा किया था, उनसे टैक्स जमा कराया गया है। इन मामले में होता है रेड फ्लैग अधिकारी बताते हैं कि नए व्यापारियों की ओर से ज्यादा ई-वे बिल डाउनलोड किए हो, या रिटर्न में विसंगति हो, टैक्स जमा न कर रहा हो या गलत तरीके से आईटीसी का अनुचित लाभ ले रहा हो। ऐसे व्यापारी को एआई पोर्टल पर रेड फ्लैग दिखाने लगाता है। फिर विभाग के अधिकारियों की ओर से ऐसे व्यापारियों की जांच शुरू कर दी जाती है। जांच के बाद नोटिस देकर टैक्स वसूली की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है।
F.Y.2017-18 और F.Y.2018-19 में जीएसटी रिटर्न में झोलझाल करने वाले 33,000 मामले में भेजा नोटिस
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय टैक्स अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में फाइल रिटर्न में विसंगतियों और टैक्स के कम भुगतान के लिए रजिस्टर्ड कारोबारियों को करीब 33,000 जीएसटी नोटिस भेजे गए हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि राजस्व सचिव की अध्यक्षता में राज्य और केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक इस महीने के आखिर या जनवरी की शुरुआत में होने की संभावना है। इसमें टैक्स अधिकारियों को ऐसे नोटिस से निपटने के लिए गाइड किया जाएगा। इस वजह से भी नोटिस का लगा ढेर जीएसटी पर उद्योग मंडल एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन में सीबीआईसी के सदस्य (जीएसटी) शशांक प्रिया ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए भेजे गए नोटिस दोनों के लिए दाखिल किए गए कुल रिटर्न का छोटा अंश है। उन्होंने बताया कि टैक्सपेयर्स को दो साल के लिए सालाना रिटर्न दाखिल करने के लिए दी गई डेडलाइन को आगे बढ़ाने के चलते भी ऐसे नोटिसों का ढेर लग गया है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 7 फरवरी, 2020 तक बढ़ा दी गई थी, जबकि 2018-19 के लिए यह दिसंबर, 2020 तक थी। इसलिए रिटर्न भी देर से दाखिल किया गया टैक्सपेयर्स के अनुरोध पर रिटर्न दाखिल करने का समय बढ़ाया गया था, इसलिए रिटर्न भी देर से दाखिल किया गया और अधिकारी (रिटर्न की जांच करने के लिए) बहुत दबाव में आ गए। इसलिए यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे इस स्थिति का समाधान निकलेगा और हमारे पास एक ही समय में इतने प्रस्तावित नोटिस लंबित नहीं होंगे। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए ऐसा हुआ है और हम देखेंगे कि इससे कैसे निपटना है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने टैक्स के कम भुगतान के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन व्यवसायों को करीब 30,000 से 33,000 नोटिस भेजे हैं।
15 करोड़ से ज्यादा का GST हाई कोर्ट द्वारा निरस्त, TECHNOSYS केस जीते
कमिश्नर कमर्शियल टैक्स इंदौर एवं डिप्टी कमिश्नर स्टेट टैक्स भोपाल द्वारा M/S TECHNOSYS SECURITY SYSTEM PRIVATE LIMITED, BHOPAL पर लगाए गए करोड़ों रुपए के GST को हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। विद्वान अधिवक्ता श्री आयुष गुप्ता माननीय उच्च न्यायालय में यह प्रमाणित करने में सफल हुए कि, अधिकारियों ने Sub Section 4 of Section 75 of the Goods and Services Tax (Act) का उल्लंघन किया है। यह याचिका कंपनी के डायरेक्टर NEERAJ KUSHWAHA, DELHI की ओर से दाखिल की गई थी। उनकी ओर से नियुक्त किए गए वकीलों ने हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश को बताया कि, टैक्स अधिकारियों द्वारा कंपनी को नोटिस दिया गया और नोटिस का जवाब मांगा गया। कंपनी द्वारा जवाब प्रस्तुत किया गया परंतु कंपनी के जवाब को स्वीकार करते हुए टैक्स अधिकारियों ने 15 करोड़ से अधिक का GST, उस पर ब्याज और जुर्माना जमा करने की आदेश जारी कर दिए। विद्वान अधिवक्ताओं ने बताया कि GST Act की धारा 75 उप धारा 4 के तहत सुनवाई का अवसर दिए बिना, किसी भी प्रकार का फैसला नहीं किया जा सकता है। इस मामले में अधिकारियों ने, कंपनी को सुनवाई का अवसर नहीं दिया। नोटिस के बदले प्राप्त हुए जवाब के आधार पर अपना फैसला सुना दिया। विद्वान न्यायाधीश जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी, अधिवक्ताओं के तर्क से सहमत हुए एवं उन्होंने आदेश दिया है कि, कमिश्नर कमर्शियल टैक्स इंदौर एवं डिप्टी कमिश्नर स्टेट टैक्स भोपाल, इस मामले की फिर से सुनवाई करेंगे। सुनवाई के लिए किसी अन्य ऐसे अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी, जिसे दोनों पक्षों द्वारा तत्सत और निष्पक्ष माना जाए।